साहिब
साहिब
1 min
219
नींद भारी है ना उठा साहिब
बह गए अश्क़ से वफ़ा साहिब।
तुमनें दिल की मेरे तलाशी ली
कुछ बताओ तो क्या मिला साहिब।
दर्द के साथ अश्क़ रोता है
आँखों को क्यूँ मिले सज़ा साहिब।
जीने के लिए यार हँसना है
ज़िन्दगी ने यही कहा साहिब।
इश्क़ ने मात इस तरह दी मुझें
तुम भी रहने लगे खफ़ा साहिब।
तुमसे चाहत बुझी न शबनम की
माँगे "नीतू" जीने की सज़ा साहिब।
