Arvina Ghalot
Others
ऋतुराज आयोरी अंगना
खन खन खनके मोरे कंगना
पीली पीली सरसों फूली
खिल उठी कली कली
खुशिहाली आई हरियाली छाई
अमराई से बौर की सुगंध आई
भ्रमर इत उत डोले गुनगुन बोले
गेहूं की बालियां हवा में डोले
लाल ओढ़नी
तुम कविता हो
बाकी हैं, उजा...
यादों की कंदी...
सावन झड़ी लाग...
मेरे हमसफ़र
इस दिल के किं...
विश्वास की डो...
सितम बिखरा पड...
मेरे अंगने मे...