रोते रोते हंसना
रोते रोते हंसना
शादी के मंडप में बैठी
दो दो भाव मन में थे
नए जीवन की थी शुरुआत
पर अपने थे बिछड़ रहे
दिल में खुशी तो बेहद थी
पर आंखों में आंसू थे
कल ना दिखेंगे मां पापा
साजन के उस आंगन में
खो जाएगा प्यार दुलार
जो था मां के आंचल में
सोच सोच दिल बैठ गया
आंखों से आंसू बहने लगे
पापा ने फिर गले लगाया
और प्यार से कहने लगे
बेटी तू है गर्व मेरा
प्यार मेरा सौभाग्य मेरा
दस्तूर समाज का हमें निभाना
तू भी निभा कर्तव्य तेरा
हर पल तेरे साथ हूं मैं
कहीं नहीं मैं दूर जरा
उनके प्यार भरे शब्दों से
दूर हो गया मेरा दुख
चेहरे पर मुस्कान आ गई
विदा हुई मैं फिर खुश खुश I