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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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रोते रोते हँसाने वाला चेहरा

रोते रोते हँसाने वाला चेहरा

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एकाएक ही किसी का चेहरा याद आया है

रोते रोते ही अचानक ये दिल मुस्कुराया है।

ज़माने के गमों ने ये बदन मेरा बड़ा झुलसाया है,

तेरा नाम याद आते ही,कुछ पल के लिए तो लगा

ये नमक भी जख्मों पर जैसे नरम सा साया है।

एकाएक ही किसी का चेहरा याद आया है

रोते रोते ही अचानक ये दिल मुस्कुराया है।

ये जिंदगी मेरी खो गई है,

किसी गहरे अंधेरे में

नज़र न आ रही है,

मुझे कोई किरण अंधेरे में

तेरा अक्स ही अमावस में

पूनम का चाँद बनकर आया है।

तेरी याद का वो एक सुनहरा पल

जहां मिले थे हम गंगा जल से निर्मल

तेरे साथ का वो एक एक लम्हा यादकर

मेरे इन नयनो से तो आंसू छलक आया है।

एक रोज़ शूल चुभा मुझे

फूल ये देख हंसने लगा मुझे

उसका हंसना देख मुझे

रोते रोते भी हंसना आया है।

ऐसा करते देख मुझे

वो फूल भी बड़ा ही घबराया है

बोलने लगा,क्या तुझे दर्द ने नही सताया है।

मैंने कहा सताया तो है,इतना की पूछ मत,

पर उसने एक ऐसा रूहानी दर्द भी दिया है

रोते रोते भी मुझे उसकी यादों ने चहकाया है।

जब भी ये मन मेरा उदास होता है

दुनिया से बड़ा ही परेशान होता है,

कोई चेहरा ऐसा मेरी रूह में भी समाया है कि

उसने हर उलझन में मुझे कमल सा महकाया है।

इस दुनिया के दरिया में जब जब भी में डूबने लगा

किसी अदृश्य से सहारे ने मुझे,दिया बड़ा ही सहारा है।

तेरा बहुत ही कोटि कोटि धन्यवाद बजरंगबली,

कोई तो ऐसा चेहरा हमारे लिए तूने बनाया है,

जिंसने बाती बनकर हमे एक उजला दीप बनाया है।

शायद यही वजह है,इन नयनों के झरनो से

तू रोते रोते ही हमारे लबों पर हंसी बन आया है

एकाएक ही किसी का चेहरा याद आया है

रोते रोते ही अचानक ये दिल मुस्कुराया है।



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