रोज मिला नहीं करते
रोज मिला नहीं करते
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यूँ तो हम रोज मिला नहीं करते
ऐसे प्यार भरे लम्हे बिताया नहीं करते
कहीं दिल की बात तुम पढ़ ना लो इसलिए
जब मिलते है तो आँखों से
चश्मे का पर्दा हटाया नहीं करते
बेखबर से बनकर कही बातें पूछा करते हैं
खबर होते हुए भी हर जवाब तुझसे सुना करते हैं।
कभी चाय का आधा कुल्हड़ तुझसे बाँट लिया करते हैं
वैसे भी हम रोज कहाँ मिला करते हैं।