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V. Aaradhyaa

Children Stories Fantasy Others

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V. Aaradhyaa

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रेवड़ी गज़क

रेवड़ी गज़क

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कहीं इस त्यौहार में खाते मूँगफली रेवड़ी,

कहीं बैगन के चोखे संग चावल की खिचड़ी,

बन रहे तिल के लड्डू और गुड़ की चिक्की,

खा रहे सब कुछ भुंजे तो कच्ची और पक्की॥


पतंगे आज सर उठा कर फड़फड़ाने लगीं हैं,

आसमान को छूने को जैसे हड़बड़ाने लगीं हैं,

ओढ़ लिया गगन ने अब धानी सी सुन्दर चूनर,

शरमाया आसमान जैसे देख धरती का हुनर॥


उत्तरायण का अब से महाशुभ काल है आया,

सबने हर्षित होकर मकर संक्रांति त्यौहार मनाया!

महान पर्व है यह हम सब को पावन पाठ पढ़ाया,

गुड़ तिल और दही चूड़े का सात्विक महत्व बताया!



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