रेत सी यादें ......!!!
रेत सी यादें ......!!!
1 min
174
यादें लौट आती हैं
याद आने को,
आँसू बहा जाती हैं
सूख जाने को।
दिल को तार-तार करके
लौट जाती हैं,
कितने ही भेद खोल
करके जाती हैं ।
समंदर किनारे रेत का
घर तोड़ जाती हैं,
लहरें बनकर आती हैं
टकरा जाती हैं ।
ऊँगली से लिखे शब्द को
मिटा जाती हैं,
हाथों से बने दिल को
छेद जाती हैं ।
यादें रेत से सरकती
जाती हैं,
बीते लम्हों की बातें
सताकर जाती हैं ।
