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Sujata Kale

Others

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Sujata Kale

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रेत सी यादें ......!!!

रेत सी यादें ......!!!

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यादें लौट आती हैं

याद आने को,

आँसू बहा जाती हैं

सूख जाने को।


दिल को तार-तार करके

लौट जाती हैं,

कितने ही भेद खोल

करके जाती हैं ।


समंदर किनारे रेत का

घर तोड़ जाती हैं,

लहरें बनकर आती हैं

टकरा जाती हैं ।


ऊँगली से लिखे शब्द को

मिटा जाती हैं,

हाथों से बने दिल को

छेद जाती हैं ।


यादें रेत से सरकती

जाती हैं,

बीते लम्हों की बातें

सताकर जाती हैं ।


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