राखी
राखी
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वो एक धागा नहीं दीदी
जिंदगी भर का साया है
माँ का ही प्रतिरूप हो तुम
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए
बनाया है
मेरे हाथों पर राखी देखकर
आज भगवान भी मुस्कुराया है
मुझे किसी से कोई ऐतबार नहीं
पर बहन नहीं इस सवाल ने
बहुत सताया है
मैं घर का चिराग हूँ, पर पता
नहीं मेरे लिए
कितनी परीयों को बुझाया है
दुनिया भी अजीब है, हाथों में
राखी नहीं
और मुझे घर का राजकुमार
बताया है।