राहें
राहें
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राहें अनजान सी थी
और हम बने उस राह के राही।।
पता नहीं की अगले कदम
पे क्या होगा।
शायद फूल भी मिल जाए या
कांटे भी चुभ जाए।।
अनजानी सी राहें
पता नहीं कौन कब मिले??
कहीं अपने थे तो कभी मिले
अनजाने चेहरे।।
अनजानी सी राहें
पीछे मुड़ के जा नहीं सकते
कही रूक के आराम नहीं
किया जाता यहाँ।।
जिंदगी ये तेरी कैसी राह है।।
जो फूलों का बागान तो है और
उतना ही कांटो का जंगल भी।।