पुत्र
पुत्र
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देखा है मैंने हर परिस्थिति से जूझते
देखा था मैंने पापा को थामते,
उनका चरण वंदन करते,
मृत्यु का वो क्षण
जिसमे खोया बहुत कुछ,
अग्नि की ज्वाला में
सम्पूर्ण स्वाहा होते,
पर माँ के आंसू देखते
अपने आंसू को रोक देते हैं,
इसलिए तो पुत्र संभल जाते हैं।
रोना तो जी भर कर चाहते हैं
पर रो नहीं पाते हैं।
मां के भरे" नीर" दुख देते हैं उनको
मैंने देखा नहीं उनको रोते हुए।
