Amit Bhatore
Others
पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं
पता भी उसका मिला नहीं
अब भी संभाल के रखें हैं,
तमाम ख़त सलीके से संदूक में,
कभी आओ वक्त निकाल कर,
पढ़ना एक-एक ख़त इत्मीनान से
देना प्रतिउत्तर अगर दे सको तो!
फ़िल्म
किताब
वक्त
मजदूर ही तो ह...
साथ में मिलकर...
सुंदरता को दे...
तुम नारी ही ह...
ग्रीष्मावकाश
नेह ह्रदय का ...
सच की राह पे ...