पत्नी
पत्नी
1 min
180
'पीहर' से 'पीघर' चली ,लिये सुहानी याद ।
पत्नी जीवनसंगिनी ,नव गृह की बुनियाद ।।
पूरक पति पत्नी बनें ,मध्य प्रेम विश्वास।
त्याग समर्पण भाव से ,प्रतिदिन हो मधुमास ।।
गुण अवगुण को कीजिये ,प्रेम सहित स्वीकार।
पत्नी का सम्मान ही,सुखमय जीवन सार ।।
सात जन्म में बाँधती ,प्रेममयी संसार ।
कितने ही उपवास से ,झलके पत्नी प्यार।।
विषय काल पत्नी मिला,कर लो कितनी बात ।
रही धुरी परिवार की ,सह के वो आघात ।।
सुख दुख दोनों में रहे ,सदा सजन के साथ ।
घर बाहर के काम में ,संग बढ़ाती हाथ ।।
पत्नी के संदर्भ में , उड़ता रहा मजाक ।
भीगी बिल्ली पति बनें,घर में उसकी धाक।।