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SURYAKANT MAJALKAR

Others

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SURYAKANT MAJALKAR

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पति का सपना

पति का सपना

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थकाहारा मैं जब घर लौटकर आया।

उसके हाथों में पानी का गिलास और

चाय का कप पाया।


तब जोर जोर से हिलाकर किसी ने मुझे जगाया।

आँखें खुली तो सामने पत्नी को क्रोध में पाया।


उठकर पलंग पर बैठ गया। तो उससे रहा नहीं गया।

"बैठे क्यूँ हो आराम से, ऊठो नल में पानी आया।

चाय नाश्ता बाहर कर लेना। "

उसने फिर दोहराया।


पता नहीं सपने कब सच होंगे।

कब टाँग फैला कर चैन की नींद सोयेगें।


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