प्रश्न हमार
प्रश्न हमार
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हो गयल भवसागर जे पार , ताके उहो तड़ेर के आंख।
सोच समझ के दिहीं जबाब , ना बा कउनो अलग दबाव।
चतुराई से तरकस रखले शान पे बान चलउलस के ,
पिछड़ा कह पिछियउलस के । पिछड़ा कह पिछियउलस के।
हम त बिगरल काम बनाईं , पानी पर सेतु पऊड़ाईं।
मोर क्षमता पे प्रश्न तोहार , फिर से तनिका करा बिचार।
सागर के पुरुसारथ अपने अंजुरी से खरकउलस के ,
पिछड़ा कह पिछियउलस के। पिछड़ा कह पिछियउलस के।
अवधपुरी के हईं दुलार , काशी मथुरा हवे हमार।
शिल्पकार हम गंगा के , डमरू शिव अड़भंगा के।
केशव के उ चक्र सुदर्शन अंगूरी में पहिनउलस के ,
पिछड़ा कह पिछियउलस के । पिछड़ा कह पिछियउलस के।
ना केहुओ से राखी तोड़ , सबका खातिर चार चार गोड़।
राम के हाथे धनुष थमउली , संसाधन सबका पहुँचउली।
शस्त्र शास्त्र के विद्या हमरै हमहि से लुकवऊलस के ,
पिछड़ा कह पिछियउलस के । पिछड़ा कह पिछियउलस के।
केसे केकर रहल लड़ाई , हम ना कबहुँ बैर निभाईं।
हम केकरा के रहीं चुनौती , जे एह गति के हमरो हस्ती।
कहे कथानक जे कथावाचक हमरै कथा छुपउलस के ,
पिछड़ा कह पिछियउलस के । पिछड़ा कह पिछियउलस के।