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Lakshman Jha

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Lakshman Jha

प्रीत के बोल

प्रीत के बोल

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कोई प्रीत के गीत सुनाओ सनम,

हमें अपना बोल सुनाओ सनम !

हम युग युग से तुम्हें प्यार करें,

तुम मुझको गले लगाओ सनम !


यह दूरियाँ, हमको पास तेरे,

आने को नहीं देती थी,

कितने दिन, चुपचाप रहे,

तुम जहर, विरह का पीती थी !


लहरा के तुम अब आ जाओ सनम,

हमें अपना बोल सुनाओ सनम !

हम युग युग से तुम्हें प्यार करें,

तुम मुझको गले लगा लो सनम !


ये चाँदनी रातें, भी हमको,

कुछ ऐसी खटकती, रहती थी,

मौसम के बदलते, लम्हों में,

बस एक शिकायत रहती थी !


अब और नहीं तड़पाओ सनम,

हमें अपना बोल सुनाओ सनम !

हम युग-युग से तुम्हें प्यार करें,

तुम मुझको गले लगाओ सनम !


कुछ हम बोलें, कुछ तुम बोलो,

कोई और ना हमको सुन पायें,

अपनी सुनहरी, यादों को हम दोनों,

मिलकर दुहरायें !


और करीब तुम आ जाओ सनम,

हमें अपना बोल सुनाओ सनम !

हम युग-युग से तुम्हें प्यार करें,

तुम मुझको गले लगाओ सनम !!


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