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Shalini Badole

Others

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Shalini Badole

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प्रेमरंग

प्रेमरंग

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ऋतुराज बसंत ने प्रकृति का, मोहक किया श्रृंगार,

चुनरी ओढ़ाई केसरिया,टेसुओं का पहनाया हार।

प्रीत का रंग लगा अंग-अंग,चहुँ ओर बिखरा प्यार।

भाँग की चढ़ी मादकता, रंगों का चढ़ा खुमार।

उमड़ा प्रेमरस राधा-कृष्ण का,वृन्दावन भया संसार।

स्नेह,सौहाद्र,अपनत्व लाया, रंगों का त्यौहार।।




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