प्रेम
प्रेम
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न कोई परिभाषा
न कोई रुप
न शब्दों में बयां
न बातों में कहा
एक भाव
एक एहसास
पनपता
मन ही मन
तरसता
कुछ पाने को
जुड़ाव
बंधन रहित
बहाव
अविरल
समर्पित
इक दूजे को
हमेशा
निस्वार्थ
पाक
न जताना
न समझाना
बस यूँ ही
एक नजर
देखना
लुभाना
न हक
न दावा
न रुठना
न मनाना
फिर भी
जो है
वो प्रेम
जो हद से गुजर जाये
बिना शिकायत जी जाये
बिना जताये निभ जाये
दिल का दिल में रह जाये
वह प्रेम
जिसके ख्याल में
दाल/सब्जी जल जाये