प्रेम जिसके हृदय में है
प्रेम जिसके हृदय में है
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प्रेम
जिसके हृदय में है
वह मनुष्य संतुलित भी है और
असंतुलित भी
पर विचलित नहीं
भयभीत नहीं
गंभीर से गंभीर परिस्थितियों से
वह भागता नहीं
लड़ता रहता वह इस
कठिनाइयों और दुविधाओं भरे जीवन की
लड़ाई
मरते दम तक
बड़े ही प्रेम से
मनोयोग से
पूर्ण संकल्प यह
हमेशा ही मन में धारण
किये कि
आज नहीं तो कल
अवश्य ही कोई तो
उसकी ही तरह
पूर्ण रूप से समर्पित भाव से
सच्चा प्रेम करेगा उसे भी।
