पलक
पलक
पलकों में कैद छोटे सपनों की बड़ी खुशियां हैं
छोटे-छोटे इन पलों में सिमटी अपनी दुनिया है ।
पलक झपकते ही कुछ ख्वाब बिखर जाते हैं ,
टूटने की टीस से पलकों से मोती गिर जाते हैं ।
पलकें बिछाकर राहों में बैठे थे उनके इंतजार में ,
पलक झपकी ही नहीं उनके आने के करार में ।
पलकों के द्वारे से नींद बड़ी दूर खड़ी थी ,
बीते लम्हें ले उनकी पलकों तक चली थी ।
पलकों का गिरना उठाना नजरों से सब कह गया
उन आंखों के काजल में दिल वही अटका रह गया।
भीगी पलकें कर के बेटी चली ससुराल है,
पलकों की छांव में उसका सुंदर संसार है ।
पलकों पर बिठाकर प्रभू मूरत उर बसाऊं,
कैद कर इन नयनों में जीवन तुझमें ही लगाऊँ।
