पिटारा
पिटारा
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सेल्फी का इक
अपना ही मज़ा है
मैं और मेरे बच्चे
कहाँ इक दूजे से जुदा हैं ।
माँ सा मुझमें
रखते हैं विश्वास
बदले में कभी -कभी
सेल्फी की आस ।
टैक्नोलॉजी का जमाना
सही प्रयोग सबने जाना
उनका उत्साह बढ़ाना
कक्षा कार्य पिक भेजना ।
विडियो के चक्कर में
अच्छे वक्ता बन रहे
बिना कहे अपने आप
कविताएँ सुना रहे ।
हर किसी का है यह प्रयास
गर सुनाऊँगा याद कर
विडियो बन जाएगा
घर में रौब जम जाएगा।
जो हमारे जमाने में न था
वह नये जमाने में ,मैं उनको देती
स्कूल की यादों का पिटारा
उनके बचपन संग सौंप देती हूँ।
