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Dr.Purnima Rai

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Dr.Purnima Rai

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पिता

पिता

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पिता पर क्या लिखूँ..

वह तो खुद कलमकार हैं ,

किताब हैं,

जिन्दगी का एक 

अधूरा किस्सा हैं।

जो सदैव आगे 

पीढ़ी दर पीढ़ी 

वट वृक्ष की तरह जीवंत हैं ,

चलायमान हैं। 

प्रसाद के मनु की तरह 

एक महामानव हैं

जिसने सृजित किया

कामायनी को !!



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