पीर दिल की
पीर दिल की
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जीवन जिसके लिए जिया हूं
उसके लिए मरूंगा इक दिन
उसकी यादों को बिखेर कर
यादें उसकी बिनूगा इक दिन।।
कैसा भी वो किन्तु मेरे वो
दिल की धड़कन बना हुआ है
आज़ यहां मैं जो कुछ भी हूं
उसकी मांगी मिली दुआ है।।
गद्दार उसे कैसे कह दूं
जिसने वफ़ा किया है प्रतिपल
मैं ही सजा नहीं पाया
उसने प्यार दिया है प्रतिपल।।
पीर बहुत है दिल में मेरे
किन्तु रही है मीठी मीठी
रोती रहती हैं पल पल ये
राहों पर आंखें ये बैठी।।