फूलदेई त्यौहार
फूलदेई त्यौहार
आया प्यारा मौसम वसंत का।
फूलदेई का त्यौहार मनाने को निकली,
घर से बच्चों की टोली।
मिलकर गाते जाते थे यही सारे के
सारे हमजोली।
"फूलदेई छम्मा देई।
जतुक ले दिला उतुक सई।
देणी द्वार, भर-भकार।
य देली स बारम्बार नमस्कार।
फूले द्वार, फूलदेई छम्मा देई।"
चुन लाए जंगल से फूल सारे।
पीले 'प्योंली' के फूल कितने प्यारे।
सजाते जाते थे सारे घर-द्वार।
करते रहते यही पुकार-
फूलदेई छम्मा देई।
जतुक ले दिला उतुक सई।
पाकर चावल, मिष्ठान्न और
पकवानों का पुरस्कार।
बच्चों के चेहरे हो जाते
खूब खुशगवार।
करते रहते यही पुकार।
फूल देई छम्मा देई।
जतुक ले दिला उतुक सई।
चावल से बनता 'साय' का पकवान।
बच्चे खाते भरपेट मिष्ठान्न।
आये यह त्यौहार
दिनों दिन, बारम्बार।
करते रहें यही पुकार।
फूलदेई छम्मा देई।
जतुक ले दिला उतुक सई।
