फटी जेब
फटी जेब
क्या बताऊ जेब का
फटी जेब मे कुछ नही
चंद रुपयो का महीना मेरा
बढ़ती महंगाई काबू मे नही
दोबच्चों का परिवार मेरा
दो रोटी मिल जाए तो गम नही
फटी जेब की हालत मेरी
यही मजबूरी शान मेरी
ऐसी हालत कभी ना थी
अपना था रोजगार
अपनी थी कमाई ,
अपना खर्च अपना दर्द
कम कमाई को छुपाता हूँ
फटी जेब से उधार खाता हू
कम्पनियो की होड़ में
पिस गए रोजगार झोल में
फटी जेब सा हाल मेरा
ना खुशियाँ है ना माल मेरा
बिक गया है ज़मीर
बिक गए है अमीर
खून चूसने जैसी नौकरी
मालामाल होते वजीर
समाज का कोई दोष नही है
जैसा पानी दिखता है
वैसा लोग भरते है
फटी जेब पर मायुस नही
उल्टा हम ही पर हँसते है
एक आस होती है बच्चो की
एक बात होती है खर्चो की
फटी जेब से क्या निकलेगा
एक बात होती सपनो की
या बताऊ जेब का
फटी जेब मे कुछ नही....
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