फोन की महिमा
फोन की महिमा
आज जो कुछ भी हूँ,
तकनीकी यंत्रों की वज़ह से हूँ ।
जब से बाजारों में फोन आया,
मोबाईल ,अरे चलता फिरता यंत्र,
जीवन का बन गया अभिन्न अंग,
गूगल देता है कितना ग्यान,
हर प्रश्न का उत्तर मिलना,
हो गया आसान।
जाना हो कही शहर से बाहर,
जी,पी,एस कराता राह दर्शन,
नये नये लोगों से मिलना,
सीखना और सिखाना,
देश विदेश की जानकारी,
देखों पल भर में मिल जाती,
हमारा जीवन हुआ आसान ।
अपनी ख़्वाहिशों को,
पटल पर प्रस्तुत करना,
दिल के भावों को लिख कर,
देश में हो रहे अत्याचारों को,
सबके सामने रखना देखो,
कितना हुआ आसान।
तकनीकी यंत्र है,
तभी तो स्टोरी मिरर से जुड़ी,
अपनी नयी पहचान बनाई,
कहानियाँ, कविताएँ लिखकर,
सम्मान पा हर्षित हुई,
न होती तकनीकी तो ,
क्या शब्द शिल्पियों का ,
कही संगम होता।
कही नहीं, कभी नहीं,
तो देखो तकनीकी के कमाल से,
सबका मिलना हुआ आसान।।