पहला दिन
पहला दिन


याद है मुझे जब स्कूल में पहली बार गयी थी,
थोड़ी सी घबराई, थोड़ी सी सकुचाई थी।
बस्ते को हाथ में पकड़ा
कलम को भी कस के जकड़ा,
न कोई बैग न कोई पानी की बोतल।
डरी डरी सहमी सहमी दबे पाँव से
कोने में जा बैठी नजर चुराके, सबसे छुपके।
बगल की लड़की भी एकटक निहारी,
फिर धीरे से अपनी जुबान हिलाई।
क्यों न बन जाऊं मैं तेरी सखी,
मैं भी स्कूल पहली बार हूँ आई।
सुन के उसकी बातें दिल को एक राहत आई,
मास्टर जी के पास भी स्लेट लेकर दौड़ी भागी।
सखी संग बाहर की भी सैर कर आई
हँसते खेलते कल आने का वादा
नन्हे नन्हे हाथों से हाथों की पकड़
चल पड़े थे घर की और।