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फिर किसी की आँखों में प्यार के मोती देखे हैं

फिर किसी की आँखों में प्यार के मोती देखे हैं

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फिर किसी की आँखों में प्यार के मोती देखे हैं
फिर किसी ने एक पल में दिल चुराया है मेरा

कहने से डरता हूँ मैं ,प्यार जिसे करता हूँ मैं ....
उसके बदन की खुशबू ने घर महकाया है मेरा

उसे देखते ही कसम मैंने ली है
उसे अपनी जां बनाकर रहूँगा
वो जब घर से निकले तो कदमो तले
मैं सितारों की चादर बिछाकर रहूँगा

मैं ये जानता हूँ उसे हर जन्म में
खुदा ने दिलबर बनाया है मेरा

लबों से कभी जब मेरे गीत गाकर हवाओं में वो रस लुटाने लगेगी ..
नज़र उसकी भी तब हया से झुकेगी ,
वो गालों की लाली छिपाने लगेगी

मैं हौले से छूकर उसे ये कहूँगा
तू ही रब तू खुदाया है मेरा

मनीष "आशिक़ "


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