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Jai Singh(Jai)

Others

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Jai Singh(Jai)

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"फिज़ा करें रंगीन "।

"फिज़ा करें रंगीन "।

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रंग  गंध  कोई  नहीं , फिज़ा करें रंगीन।

झड़ी लगती बारिश अब,मन को करें हसीन।

मन को करें हसीन, फुहार सबको सुहाती।

ठंडी ठंडी पवन, उमंग सब जगा जाती।

कह "जय"चमक उठता,सबका हर अंग प्रत्यंग।

आकर अच्छी बारिश,भर जाती है नव रंग।



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