पद- ( 30 )
पद- ( 30 )
पद को देखकर ,
सबका मन ललचाए,
मुंह से टपके लार ,
पद की गरिमा जाने नहीं,
बना लिया उसे दुकानदारी,
चलता हैं इनका खूब व्यापार,
इस व्यापार के लिए लड़ने को तैयार,
सेवा के नाम सब बन रहे हैं चोर उचक्के,
कहते हैं गरीबों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं,
गरीबों की लड़ाई
लड़ते-लड़ते कब अमीर ये बन जाते हैं,
मंचों को सजाकर
चमचों को लगाकर,
खूब लूटते हैं वाह वाही
लगवाते हैं नारे,
कहे "चेतन दास वैष्णव" बजाओ चमचों
मिलकर ताली,
लाइन में बैठे हैं पंच और चमचे,
लगाए आस
तक कब हो पद खाली,
ऐसी है हर समाज की
हालत माली,
