पापा
पापा
आज अचानक मुझे दीदी ने कहा,
पापा पर कुछ लिखने को।
तो मेरे मन में ख्याल आया,
क्या लिखूं मैं उनके बारे में,
जब मुझे कुछ याद ही नहीं ,
उनके साथ बिताए हुए पलो के बारे में।
क्या लिखूं मैं उनके बारे में,
सच कहूं तो मुझे नहीं पता,
किस तरह का रिश्ता होता है ,
एक बेटी और पिता का।
काश! मुझे भी पता होता ,
कि पापा का प्यार कैसा होता है।
सुना है कि पापा का प्यार ,
नसीब वालों को मिलता है,
पर क्या फर्क पड़ता है जनाब,
प्यार तो प्यार होता है।
मुझे कभी कमी ही नहीं खली,
पापा के प्यार की,
क्योंकि मुझे नाना -नानी ,
मामा व अपनो का प्यार जो मिला था।
काश! मैं उनके बारे में कुछ लिख पाती,
वो मुझसे और मैं उनके नाम से पहचानी जाती ,
वो मुझसे और मैं उनसे हर वो बात कहे पाते ,
वो मुझसे और मैं उनके साथ खुब मस्ती करते।
क्या लिखूं मैं उनके बारे में,
बस इतना लिखना चाहती हूँ,
उनका आशीर्वाद और प्यार हमेशा है मेरे साथ में,
मैं उनकी बेटी और वो मेरे पिता है इस जहां में,
मैं भी हँसते-मुस्कराते याद कर लेती हूँ,
अपने पिता के चेहरे की मुस्कान को।
क्या लिखूं मैं उनके बारे में...