पापा तुम बहुत याद आते हो
पापा तुम बहुत याद आते हो
कहती थी पापा आप से दूर न जाउंगी मैं,
पर अब इतनी दूर हूँ की मिलने को हूँ तरसती मैं!!
नहीं भूलती आपके कंधे पर बैठ कर सैर करना,
नहीं है वह मजा अब चाहे,
महंगी महंगी कार मैं भी हो बैठना!!
आपकी लाड़ली पहले खेलती थी आंगन मैं,
अब उसकी आंगन के लिए तरसती मैं!!
बीते जो दिन आपके साथ,
वैसा निस्वार्थ प्यार और सम्मान नहीं है
कही पर!!
हर बात सुनी जाती थी,
अब सुनता न कोई और सिर्फ बातें बतायी है जाती!!
पापा बड़े याद आते हो तुम,
सोचती हूँ क्यों बड़ी हो गयी मैं!!
पापा के आगे बिन बोले फरमाइश होती थी पूरी,
अब फरमाइश नहीं,
सिर्फ जरूरते ही होती है पूरी!!
पापा ही है जिन्होंने कभी भी,
किसी बात को ना नहीं बोला,
अब तो मुश्किल से किसी भी,
बात पर हाँ है होता!!
पापा बड़े याद आते हो तुम,
सोचती हूँ क्यों बड़ी हो गयी मैं!!
काश हर किसी ने आँका होता मुझे ,
जैसे आपने आँका,
अब हो हर किसी को समझाना पड़ता है अपने आप को!!
आपकी परी, घर का हीरा थी मैं,
पर अब मैं हर जगह सिर्फ पराई!!
बचपन की यादें अब भी ला देती है मुस्कराहट,
न टपकने दिया कभी भी आंखों से पानी,
अब सुख गया वह नीर,
क्यूंकि अब न है कोई भी उसे पहोंचने वाला !!
पापा तुम मुझे बहुत याद आते हो,
सोचती हूँ, क्यों बड़ी हो गयी मैं!!
जरा सी तकलीफ होती थी मुझे,
घबरा आप जाते थे,
अब तो कुछ होता है मुझे,
तो जाता है बोला,
क्यों रही हो घबरा,
कैसे कहो नहीं है पास मेरे,
मुझे मुझ से भी ज्यादा समझने वाले मेरे पापा!!
पापा तुम बहुत याद आते हो!!
आपने सदा ही प्यार से है बोला,
अब उन्ही मीठी बातों को हूँ तरसती,
कान है मेरे तरसते सुंनने को प्यार भरी बातें!!
मैंने जो भी बनाया ,
चाहे हो उसमें कितनी भी कमी,
आपने कभी जताया ही नहीं,
हमेशा बोला आज भर पेट,
खाना है खाया,
बेटी तूने खाना इतना,
बढ़िया जो बनाया!!
पापा आप बड़े याद आते हो,
सोचती हूँ क्यों बड़ी हो गयी मैं,
आपकी छाया हूँ मैं,
फिर क्यों आपसे ही दूर हो गयी मैं!!
