ओ कान्हा तुम आओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
पापा और अत्याचारों से
आकर हमें बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
नारी को हैं वस्तु समझते
खेलते उसकी अस्मत से
हैवानियत भी हो शर्मिंदा
उनकी ऐसी हरकत से।
हर चौराहे द्रौपदी लुटती
आकर चीर बढ़ाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ
पाप और अत्याचारों से
आकर हमें बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना।
बेईमानों को शर्म नहीं
पैसे की पूजा करते हैं
लाचारी का लाभ उठाएं
लोगों को नित लूटते हैं।
इनके विषैले पंजों से
भोली जनता को बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
पापा और अत्याचारों से
आकर हमें बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना।
सत्ता की चाहत में नेता
झूठे वादे करते हैं
गद्दी मिलने पर ये तिजोरी
बस अपनी ही भरते हैं।
अपना सुदर्शन चक्र चलाकर
सत्ता लोभ मिटाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
पापा और अत्याचारों से
आकर हमें बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना।
लोभ में अंधे हुए लोग हैं
स्वार्थ की पट्टी बांधे हैं
आज के अर्जुन पथ से भटके
राह न कोई आगे है।
सच्चे साथी बनकर कृष्णा
गीता उपदेश सुनाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना
पाप और अत्याचारों से
आकर हमें बचाओ ना
ओ कान्हा तुम आओ ना।