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Neetu Lahoty

Others

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Neetu Lahoty

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नयी इबारत

नयी इबारत

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चल सब कुछ भूल जाते हैं 

नये कैलेंडर की माफिक

फिर से नयी इबारत 

लिखते हैं।


कुछ खतायें मेरी होगीं 

तो कुछ गुनाह तेरे भी होगें,

चल पुरानी यादों को दफ़न करते हैं. 

नये कैलेंडर की माफिक

नयी इबारत लिखते हैं।


कुछ कमियाँ मुझमें होगीं 

तो सारी खूबियाँ तुझमें भी 

न होगीं,

हम जैसे हैं वैसे ही एक दूसरे

को अंगीकार करते हैं

चल नये कैलेंडर की माफिक 

नयी इबारत लिखते हैं।



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