नयी इबारत
नयी इबारत
1 min
342
चल सब कुछ भूल जाते हैं
नये कैलेंडर की माफिक
फिर से नयी इबारत
लिखते हैं।
कुछ खतायें मेरी होगीं
तो कुछ गुनाह तेरे भी होगें,
चल पुरानी यादों को दफ़न करते हैं.
नये कैलेंडर की माफिक
नयी इबारत लिखते हैं।
कुछ कमियाँ मुझमें होगीं
तो सारी खूबियाँ तुझमें भी
न होगीं,
हम जैसे हैं वैसे ही एक दूसरे
को अंगीकार करते हैं
चल नये कैलेंडर की माफिक
नयी इबारत लिखते हैं।
