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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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नया साल,नया संकल्प

नया साल,नया संकल्प

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नई सुबह की किरणें,नया सन्देशा लेकर आई है

मन से मिटा दो अंधेरा,ये बात कहने को आई है

हर साल की तरह ये साल भी हमारा बीत गया है,

अब तो जाग जाओ 2020 की भोर होने को आई है

हमने वादा किया था ख़ुद से वो क्या हमनें पूरा किया है,

हमारे ही पुराने वादों की नींव को पत्थर देने आई है

नई सुबह की किरणें,नया सन्देशा लेकर आई है

मन से मिटा दो अंधेरा,ये बात कहने को आई है

बहुत हम सोये रहे है,रातों को क्या,

दिन को भी हम खोये रहे है,

अब आलस्य के चादर को फेंकने की बारी आई है

मन मे जगा ख़ुद के विश्वाश तू

ख़ुद को बना एक आग तू,

अब तेरे भीतर ही आग लगाने की बारी आई है

नई सुबह की किरणें,नया सन्देशा लेकर आई है

मन से मिटा दो अंधेरा,ये बात कहने को आई है

बीता समय तो,तू वापिस ला नही सकता है

पर तूफानों का रास्ता तो,तू बदल सकता है

अब वर्तमान समय पर कर तू बस चढ़ाई है

तेरा संकल्प है,पत्थर पर आग लगाना

तेरा संकल्प है,फ़लक के सितारे गिनना,

इनके लिये कर तू अपनी ही हौंसला अफ़ज़ाई है

छोड़ दे तेरे पुराने धंधे,सुधर जा ख़ुदा के नेक बन्दे,

अबके बरस तुझे ख़ुद की ही,बुरी आदतों से करनी लड़ाई है

नई सुबह की किरणें,नया सन्देशा लेकर आई है

मन से मिटा दो अंधेरा,ये बात कहने को आई है

गत वर्ष तूने बहुत शीशे तोड़ दिये थे

अबकी बार हर आईने में देखना तुझे अपना भाई है

किसी को न सताना तू

हर फूल को मनाना तू

2020 में करना साखी तू बस सबकी भलाई है

अपनी आँखो से तू किसी को कुछ दर्द न देना

मुँह से किसी को कुछ बुरा तू बोल न देना

कान से तू किसी का कुछ बुरा सुन न लेना

अपने ह्रदय में ले ये सब संकल्प तू साखी की,

2020 में किसी बुराई से नही होगी तेरी सगाई है

नई सुबह की किरणें,नया सन्देशा लेकर आई है

मन से मिटा दो अँधेरा, ये बात कहने को आई है



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