नवरात्रि
नवरात्रि
नवरात्रि का आया त्योहार,
झूम उठा सारा संसार।
पूजते हम नौ देवियों को,
खुशियां मिलती अपरंपार।
पहला नवरात्रा शैलपुत्री के नाम,
जो प्रतीक है दृढ़ता का।
दूजी आई ब्रह्मचारिणी,
जो पालन करें तप का हर बार।
तीसरा रूप है चंद्रघंटा,
जो रहती सिन्ह पर सवार।
चौथा रूप कुष्मांडा देवी,
जो स्वरूप आदि शक्ति का।
पाँचवीं आई स्कंदमाता,
जिनकी चार भुजाएं हैं।
छठे में आई मां कात्यायनी,
जो भव्य व दिव्य शक्ति है।
सप्तमी पर आती कालरात्रि,
जो करती दुष्टों का संहार।
अष्टमी लाई महागौरी को,
जो कल्याण करें हर बार।
नवमी पर आती सिद्धि रात्रि,
जो सिद्ध करती सब काम हमारे।
नौ देवियां मिलकर के करती,
हम सब पर उपकार।
सारा जग करता है पूजा,
खुशियां पाता अपरंपार।।