वाह रे सर्दी!!
वाह रे सर्दी!!
वाह रे सर्दी आने लगी है!
वाह रे सर्दी आने लगी है!
सर्दी की सुबह उमड़ने लगी है।
शीतल हवाएँ जो अब चलने लगी हैं।
सुबह सुबह की ठंडी वायु।
चेहरे को जो अब छूने लगी है।
वो अदरक वाली चाय की अब।
चुस्कियाँ यूँ भरने लगी है।।
लबादा ओड़ कर बैठे आँगन में,
हाथों में हम हाथ लिए।
उस गरम चाय की प्याली और,
मीठी मीठी बातों के साथ,
एक नयी सुबह रंग बदलने लगी है।।
इंतज़ार सूरज की किरणों का है।
लालिमा सी छाने लगी है।
कंपकंपाती ये उंगलियाँ भी।
खुलकर गीत गाने लगी हैं।।
वाह रे सर्दी आने लगी है!
वाह रे सर्दी आने लगी है!