ओढ़ लबादा, आ गए हैं, बाजार में ओढ़ लबादा, आ गए हैं, बाजार में
ये बादल जो मेरे घर पर यूँ छाए हैं। संकट के नहीं ,मस्तियों के साये हैं।। ये बादल जो मेरे घर पर यूँ छाए हैं। संकट के नहीं ,मस्तियों के साये हैं।।