नटखट कृष्ण कन्हया
नटखट कृष्ण कन्हया
मथुरा के कारागार में
मुस्कुराते हुआ आगमन।
भोली सुरत ,सावला रंग
दृस्ट का संहार करने हुआ जनम।
रूप तेजस्वी बडा प्यारा है
चेहरा हँस मुख निराला है।
बडी से बडी मुसिबत को
कान्हा ने चुटकी में हल कर डाला है
देवकी का तान्हा हो तुम
यशोदा मैय्या का कान्हा हो तुम
तेरी लीला अपार है ।
माखन चुरानेवाला गोपाल हो तुम
हे कृष्ण कन्हया
तुम हो बडे नटखट।
बासुरी बजाकर
गोपियों को बुलाते हो तटपर।
हरे कृष्ण, हरे मुरारी
पूजती जिन्हे दुनिया सारी।
जिसने दुनिया को प्रेम का पाठ पढाया ।
ओ है गोपाल कृष्ण गिरीधारी।
कान्हा को माखन मिश्रीका
प्रसाद चढाओ।
फूलों से सुंदर झूला सजाओ
सब मिलकर जन्माष्टमी का
त्योहार मनाओ।
