नन्हीं खुशियां
नन्हीं खुशियां
आई बिटिया मुझे जगाने, अपना टूटा दांत दिखाने,
सपना कोई नया सुनाने, या सच्चा कोई झूठ बताने,
पापा पापा कह हंसती, बिन बोले भी सब थी कहती,
पूछूं जो मैं कुछ भी तो, चुप नहीं थी फिर वो रहती।
बात पुरानी वही कहानी, सुनी थी हमने मां की जुबानी,
सुनाता है फिर बचपन, वही बात पुरानी पर नई कहानी,
भूली मुझे गुड़िया देना, दांत भी ले गई वो परी की रानी,
पापा पापा कह के रोती, मन को भाती है ये नादानी।
कैसा सुंदर होता बचपन, रातों में परियां सुनाए कहानी,
दांत के बदले मिलेंगी भेंटें, यही तो कहती थी मेरी भी नानी,
पापा पापा कहके बोली, जब हाथों में मेरे देखी गुड़िया रानी,
तो गलती से यहां दे गई, ये गुड़िया मेरी वो परियों की रानी।
पापा पापा कह के फिर है हंसती, प्यारी है मेरी बिटिया रानी,
पल में रोते पल में हंसते, अल्हड़ बचपन की यही निशानी,
दांत दिखा कर मुझे हंसाती, नयी कहानी है अब उसे सुनानी,
टूटे दांत भी देते खुशियां, नन्हीं खुशियों की ये नन्हीं कहानी।
