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Dr Reshma Bansode

Children Stories Tragedy

4  

Dr Reshma Bansode

Children Stories Tragedy

नन्ही परी

नन्ही परी

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एक नन्ही सी परी,

दुनिया की सैर करने चली।

हमेशा से रही जो शीश महल में,

बची रही थी सदा दुनिया की नजर से।

चुपकेसे ताकती थी वो,

ऊंची बड़ी दीवार के उस पार,

जहा थी एक अलग सी दुनिया।

जो थी इस दुनिया से अनजान।

नन्ही सी परी, 

दुनिया की सैर करने चली।


दीवार के उस पार दिखते थे कई लोग,

कभी हस्ते, खिलखिलाते 

तो कभी नाराज होते,

बड़े ही आकर्षक लगते थे वो नजारे।

नन्ही सी परी,

दुनिया की सैर करने चली।


कांच के महल में सभी कुछ था उसके पास,

रंगबिरंगे पंख थे, और जादू था इजाद।

जाना चाहती थी लेकिन वो

दीवार के उस पार।

एक नन्ही सी परी,

दुनिया की सैर करने चली।


इजाजत मांगी अपने बड़ों से,

उस पार जाना है मुझे।

समझाया उसको सभी ने

अपनी शक्तियां छोड़नी होगी तुम्हे , 

उन लोगो जैसा बनना होगा 

जो रहते है दीवार के उस पार।

ज्यादा नही सोचा उसने

जुनून था वहा जाने का उसे

शक्तियां सारी त्याग दी।


अब रास्ता खुल गया बड़ी दीवार का,

और ये नन्ही परी,

दुनिया की सैर करने चली।


स्पर्श जमीन का अलग था,

हवाओं की खुशबू भी अजीब थी।

आवाज़ शोर जैसे थी,

धड़कने तेज हुई उसकी।


कौन हो तुम ?

एक आवाज़ आई।

मैं परी हूं, दुनिया देखने आई हूं।

अच्छा, मैं जिन हू, चलो तुम्हे सैर कराता हु।

बोल के वो मुस्कुराया।

मन था उसके लेकिन कपट समाया।

ले कर गया वो नन्ही परी को

बंद किया एक अंधेरे कमरे में।

खौफ का साया था वहा पर, 

सन्नाटे का शोर था।

फिर छू कर परी को उसने ,

उसका विनयभंग किया।

घबराई हुई थी वो परी,

शक्तियां अपनी खो चुकी थी।

तभी आई वहा पारियों की रानी,

अपनी आगोश में ले नन्ही परी,

अपनी दुनिया में वापिस ले गई।

ये दुनिया नही हमारे लिए,

यहां सिर्फ, छल कपट का है राज,

तुम्हे बचाए रखना है मेरा कर्म

न करना दुबारा ऐसी जिद्द फिर तुम।


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