नन्हा मेहमान
नन्हा मेहमान
नन्हा सा अंकुर "मातृ रूपी धरा" पर' फूटा'
नव जीवन संचार हुआ,,
खिल उठा रोम -रोम ,
रक्त धमनियों में तीव्र प्रवाह हुआ।।
झुुम उठा सबका मन,
मंगल गान का शुभारंभ हुआ,,,
आ गई वो शुुुुुभ घड़ी,,
नन्हें सदस्य का जन्म हुआ।।
नामकरण संस्कार पश्चात्त,
"बहुभोज" आरंभ हुआ,
पा आशिर्वाद प्रत्येक जन से,,
नन्हें सदस्य का सबसे परिचय हुआ।।
नटखट बदमाश मासुमियत भरा
हर किसी की आंख का तारा,
सुरक्षा प्यार के साये में पला बढ़ा,,
लगाएं दौड़ दवारे अंगना।।
मां के नैनों का दर्पण,
पिता के दिल की धड़कन
नाचे, गाएं बिंदास मस्त
पाए जब दोनों को अपने संग।।
उसके भविष्य को लेकर दोनों चिंतित
दिन रात मेहनत कर करें भविष्य सुरक्षित।।
