नेताओं का प्रेम दिखावा
नेताओं का प्रेम दिखावा
नेता करते हैं प्रेम - दिखावा, सैनिक गोली खाते हैं
कहीं आतंकी मरते हैं जब, नेता नाम कमाते हैं।
कितनी पत्नियों के सिंदूर, हवा बन खो जाते हैं
कितनी माताओं के आँसू, सागर बन रह जाते हैं।
कितनी बहनों के राखी के थाल, सपने - से हो जाते हैं
कितने बच्चे बिन बाबुल के, अँधेरे में खो जाते हैं।
चंद रुपया देकर नेता, किस्सा खत्म करवाते हैं
ढोंगी रूप धरके मैयत में, अफसोस बहुत जताते हैं।
एक बार अफसोस जताकर नेता, फिर वहाँ ना जाते हैं
कुर्सी बचाने के चक्कर में, वे फरेबी रूप दिखाते हैं।
नेताओं का प्रेम जवानों के प्रति, टीवी पर खूब दिखाते हैं
चुनाव निकट होने पर वे, अमर - चौक पर शीश झुकाते हैं।
जो देश बदलने आये थे, वे काया बदलना चाहते हैं
झुर्रियां पड़ चुके चेहरे पर वे, फेयर एंड लवली लगाते हैं।
मौका पड़ने पर वे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बन जाते हैं
मुझको तो यहाँ सब चेहरे मतलबी से नज़र आते हैं।
नेता करते हैं प्रेम - दिखावा, सैनिक गोली खाते हैं
कहीं आतंकी मरते हैं जब, नेता नाम कमाते हैं।।
जय हिन्द - जय भारत !
[ © अनुज शाहजहाँपुरी ]