नौकरी के लिए पढ़ते पढ़ते मैंने कर दिया पिताजी का जेब खाली
नौकरी के लिए पढ़ते पढ़ते मैंने कर दिया पिताजी का जेब खाली
नौकरी के लिए पढ़ते पढ़ते
मैंने कर दिया पिताजी का जेब खाली
मगर नौकरी ना हुआ पर
बदल गया मेरा ज्वान और मीठी बोली।।
क्योंकि लाज शर्म और हया से
बचने के लिए मेरे पास नहीं था कोई बोली
अगर कोई पूछता मुझसे कब होगा नौकरी
तो मेरा निकलता कठोर और खड़ी बोली।।
मैं कहता हूं मैं प्रयास कर रहा हूं
ऐसा नहीं है कि मेरे लिए है सीट खाली
जो जाकर बैठ जाऊं
और बन जाऊं नौकरी वाला / वाली।।
आरोप-प्रत्यारोप लगाता मै
कर देता सबकी बंद बोली
सिस्टम और सरकार को दोषी ठहरा कर
बच जाता हूं मैं पूरी-पूरी।।