Vrajlal Sapovadia
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गौ सदियों से हमारी माता
वृधाश्रम छोड़ी अपनी माता
रोज रोज हम मंदिर जाते
बलात्कार की रोज सुनते बाते
भगवान् देखकर करते दान
कर चोरी की बहुत है शान
तिलक करते सुन्दर भाल
चौराहे पे रोटी मांगे बाल
हर नारी से रखो माँ का नाता।
आयोजन
नाविक
राजधर्म
विकास
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शिक्षा