STORYMIRROR

Dr.Pratik Prabhakar

Others

4  

Dr.Pratik Prabhakar

Others

नैतिकता गर्त में

नैतिकता गर्त में

1 min
349

भारी कदमों तले रौंदी 

जाती नैतिकता रोज़

गर्त में मिली मानवता

पाशविक बनती सोच।।


जंगम यह संसार पाले

तर्क कुतर्क , दुर्व्यवहार

कुनीति चरम पर फैली

खाती नीति को नोंच।


किसने दिया है बढ़ावा

किसने चढ़ाया चढ़ावा 

मूरख मनुज ही तो थे 

नीति को लगाए खरोंच।।


वो हम थे जिसने कभी

कुनीति की जिह्वा लंबी की

सब तरफ निराशा पसरी

काम न हो बिना उत्कोच।।


जमाने को दोष दे बस

बने रहें क्या जस के तस

वक्त आया मुखरित हों

बने सब नीति के फ़ौज।


सीख चाणक्य से लेते

खुद में सत्य,निष्ठा सेते

अहम-वहम के चक्कर

में ना आते पैरों में मोंच।


आओ खुद में प्राण डालें

सुपथ पर ही पग डालें

जो सही है हम जानें मानें!


Rate this content
Log in