STORYMIRROR

Ruby Prasad

Others

3  

Ruby Prasad

Others

नारी मन

नारी मन

1 min
227


जाने क्यों चाहता है नारी मन ?

कोई टूट कर उसे प्यार करे !!

जैसा है किरदार

उसे वैसे ही स्वीकार करे !!


न करे उससे कोई भी प्रश्न ,

न ही करे कोई हस्तक्षेप ,

कमियों को कर अनदेखा

बातें दो चार करें !!

है जानती एक नारी !

उसका अपना कोई

घर बार नहीं

कर दे कितने ही त्याग

समर्पण ,

उसकी अच्छाई किसी को

स्वीकार नहीं !!

सब जानते हुए भी


जाने क्यों चाहता है नारी मन ?

कोई टूट कर उसे प्यार करे !

उसकी कमियों संग स्वीकार करे !!


कोई तो हो जो पिता सा दे सुरक्षा ,

माँ जैसा निश्छल दुलार करे !!

जिस तरह नहीं रखती है वो

हिसाब अपनों के काम का !

वैसे ही उससे भी कोई

थोड़े थोड़े पैसों का हिसाब करे !!


है सब जानती एक नारी

प्यार, समर्पण,त्याग सब

उसके ही

कंधों पर लादे गये वो बोझ है

समाज का ,

जिसमें उससे है उम्मीद

लगाई जाती कि

वो दबा के रखे दर्द दिल में ,

और रखकर होठों पर हँसी

सबसे अच्छा बर्ताव करे !!


आजीवन बहुत घुटती है

एक नारी

कभी संस्कारों तले तो कभी

सवालों तले ,

अपने ऐसे जीवन के लिए वो

प्रश्न ईश्वर से कई बार करे !!


जाने क्यों चाहता है नारी मन ?

कोई टूट कर उसे प्यार करे !

जैसा है किरदार

बिना किसी सवाल के वैसे का

वैसे उसे स्वीकार करे !!

जाने क्यों ? 

जाने क्यों ?




Rate this content
Log in