STORYMIRROR

मोबाइल - फोनकॉल तो फ्री है लेकिन लोग नहीं।

मोबाइल - फोनकॉल तो फ्री है लेकिन लोग नहीं।

1 min
13.5K


अब अंगियन वो शोर नहीं,
क्यूँ गलियन में मौज नहीं,
बहता यौवन, ढलता बचपन,
पर क्यूँ चेहरे पर वो तेज़ नहीं।

अब कलियन में वो धड़कन नहीं,
क्यूँ बगियन में वो फूल नहीं,
डूबती कश्ती, टूटते पंख,
पर क्यूँ हर घर वो नटखटपन नहीं।

अब क्रांति मोबाइल क्या हर हाथ नहीं?
क्यूँ बचपन अब घर पलता नहीं?
ढलती उम्र,बढ़ती दूरी,
क्यूँ हर सांस वो चैन नहीं?
क्यूँ हर सांस वो चैन नहीं?


Rate this content
Log in