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राजेश "बनारसी बाबू"

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राजेश "बनारसी बाबू"

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मनभावन बरसात

मनभावन बरसात

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वाह क्या बरसात आई है

खेत खलियान बाग बगीचे

चारों ओर झूमी हरियाली है।

मेघ भी गरजने लगे हैं।

मेढक भी टर टर करने लगे हैं।

यह मोर ने कैसी छेड़ी तान है।

बदले मैं कोयल ने भी भेजी हैं

अपनी सलाम है।

आज ये बरसात का टिम टिमाता

पानी,

और यह मौसम की दिलकश

कहानी।

घर आंँगन सोंधे सोंधे से महकने

लगे हैं।

बरसात में हम भी थोड़े बहकने

लगे है।

यह बरसात भी थोड़ी इतरा रही है।

जाने क्यू हाथ के पकड़ में भी नही

आ रही है?

यह बरसात की कैसी घड़ी आई

है?

यह बारिश जमीन पर मोती की

तरह टिम टिमा रही है।

यह बरसात में लोग छाता लेकर

आ रहे हैं।

यह बच्चे कैसे बारिश में नहा रहे

हैं?

यह बरसाती हवा तन को भिगो

रही है।

जाने हमसे क्यू कुछ कह रही है

यह मिट्टी की कच्ची पगडंडी

ऐसी चमक रही है।

ऐसा लग रहा है जैसे मुस्कुरा रही

है।

यह वृक्ष भी ऐसे संवरने लगे हैं

जैसे लग रहा है कि यह एक दूजे

से प्यार करने लगे हैं।

यह बारिश प्रकृति का एक

अनोखा उपहार है।

यह बारिश कृषको के लिए जैसे

एक प्रसिद्ध त्यौहार है।

यह देखो कैसी लहलहाती बारिश

आई है?

और कृषकों मैं देखो कैसी

खुशहाली छाई है।




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