मिट्टी के टीले
मिट्टी के टीले

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है वह मेरा बचपन का
घर वैसा ही
वही टूटे हुए घर
वह कदम के पेड़
वही मिट्टी के टीले
जहाँ खेलते हैं बच्चे
आज भी उसी तरह
है वहीं बाग में पड़े
झूले उसी तरह
जैसे कर रहे थे इंतजार
मेरा वर्षों से
है खड़े सूखे हुए पेड़
वैसे के वैसे ही
जिसे पकड़ कर हम
लटका करते थे
बड़ी हो गई है वह वृक्ष
और ले लिया है रूप
एक घना वृक्ष का
जिसे लगाया था हमने
ढेर सारे आम की चाहत में
उस पुराने पगडंडियों की
दिवारी अब नहीं रही जिस पर
हम बैठकर बातें किया करते थे
खोज रही थी आँखें उन
पुराने मित्रों को
जो छोड़ कर चले गए
गाँव से पैसे कमाने के लिए