मिल जाये मुझे जो एक गिलहरी
मिल जाये मुझे जो एक गिलहरी
करके देखा सब काम
उसने वो भी किया
जो उसके बस का ना था
एक रोटी कमाने के लिए
वो दर दर भटक रहा था
लेकिन नहीं हुआ कोई काम
फिर उसने सोचा कि
क्यों ना ले आउ मैं
कुछ भूरी, लाल गिलहरी
देख उसको खुश हो जाएगा
हर महिला ,बच्चा, शहरी
इसी खोज मे गया वो जंगल
पेड़ पर देखा बहुत गिलहरी
कोशिश की तो बहुत
पर हाथ ना आई एक भी गिलहरी
थक कर वो बैठ गया वही
रोने लगा अपनी किस्मत पर
तभी आई बहुत सी गिलहरी
उसके दुख में शामिल होने को
बताया उसने अपना हाल
घर मे दो बच्चे है छोटे
भूख से होगे वो बेहाल
अगर मिले मुझे एक प्यारी गिलहरी
बेच के राजा को हो जाऊँ मालामाल
मान के उसकी बात को
पांच गिलहरी हुई तैयार
चलने उसके साथ
राजा को भी पसंद थी वो
अब गिलहरियों के भी
हो गये थे राज शाही ठाठ ।
